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पठन कौशल अर्थ & आवश्यकता // Reading Skills Meaning & Requirement

 

पठन कौशल अर्थ & आवश्यकता


पठन कौशल अर्थ & आवश्यकता


भाषा शिक्षा के प्रमुख चार कौशल है: श्रवण, कथन, वाचन और लेखन । अर्थग्रहण के अंतर्गत श्रवण और वाचन कौशल आता है और अभिव्यक्ति के अंतर्गत कथन और लेखन कौशल आता है। इन चार कौशल के आधार पर भाषा सीखी जाती है।


वाचन का क्षेत्र बहुत विशाल है। जीवन में व्यक्ति को पढ़ने और लिखने के बजाय अधिक मात्रा में बोलना पड़ता है और शुद्ध एवं सही रूप में बोलने के लिए गति, मात्रा और सूर का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। ये बातें तभी हो सकती है जब व्यक्ति का वाचन पर अधिकार हो । लिखित विचारों को किसी के सामने रखना या तो किसी बात को प्रभावोत्पादक ढंग से कहना तथा विशिष्ट वाक्छटा से अन्य को प्रभावित करना इत्यादि बातें वाचन के अन्तर्गत ही आती है। अतः एक सुनागरिक के नाते अन्य से संपर्क प्रस्थापित करने के लिए अपने विचारों को अन्य के सामने प्रभावक रूप से अभिव्यक्ति करने के लिए वाचन एक महत्त्वपूर्ण साधन है । वाचन अद्वितीय कला है, जो जीवन के हरेक क्षेत्र के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। पठन कौशल भाषा शिक्षा का महत्त्वपूर्ण कौशल है।


पठन-वाचन कौशल का अर्थ-संकल्पना

'पढ़ना' (Reading) के लिए दो शब्द 'वाचन' तथा 'पठन' प्रयुक्त होते हैं। वाचन का अर्थ होता है ऐसा पढ़ना जो जोर-जोर से सस्वर पढ़ा जाए पठन का सम्बन्ध ऐसे पढ़ने से है जिसमें केवल नेत्र माध्यम से भाषा के लिखित रूप को पढ़ा जाए।


वाचन की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-"लिखित ध्वनि-संकेतों को द्रश्येन्द्रिय द्वारा ग्रहण करके उन्हें स्वयं 

समझना और अन्य को समझाना वाचन

है।


सामान्य तौर पर पुस्तक पढ़ने को वाचन कहा जाता है, पर केवल अक्षर बोध होता है और शब्दों को पढ़ना ही वाचन नहीं है। 

वास्तव में अक्षरबोध के साथ अर्थग्रहण होने की क्रिया ही वाचन है। पढ़कर अर्थग्रहण करने की क्षमता को प्राप्त करना ही वाचन कौशल है।


वास्तव में लिखितसामग्री को पढ़ते हुए अर्थग्रहण करने की क्रिया को पठन कहते है।


व्यक्ति लिखित भाषा ध्वनियों को लिपि संकेतों के माध्यम से पहचानना सीखता है तथा आगे चलकर उसमें प्रावीण्य प्राप्त कर लेता है तो हम उसे वाचन की संज्ञा से अभिहित करते है। लिपि संकेतो को पहचानने का कार्य व्यक्ति की द्दष्टि करती है, जिसे आम लोग वाचन की भौतिक बाजू से जानते हैं। लिपि संकेतों को पहचान कर उनका अर्थग्रहण और अर्थघटन करना भी वाचन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इस प्रकार वाचन में नेत्रेन्द्रिय एवं उच्च प्रकार के मानसिक ( व्यापार-विचार शक्ति, तर्कशक्ति तथा निर्णयशक्ति संमिलित है।


वाचन एक कला होने के साथ-साथ एक 'क्रिया' भी है। जिस पर गौर करने से उसमें से निम्नांकित बातें उभरती है। जिसमें दृष्टि विरामस्थान (fixation), दृष्टिफलक (Eyespan), अर्थग्रहण तथा अर्थ विश्लेषण प्रमुख है। अतः वाचन क्रियात्मक रूप में होने के कारण उसका स्वरूप जटिल-संकुल बन जाता है।


पठन कौशल में लिपिचिह्नों की पहचान, शब्द की समज, अर्थग्रहण, अर्थघटन, विरामचिह्नों की समज इत्यादि का समावेश होता है। वाचन के सन्दर्भ में विद्वानों ने परिभाषा - व्याख्या निम्न प्रकार दी है।


👉 वाचन यानि लिखित शब्दों या भाषा के ध्वनियों का द्दश्य संकेतो को पहचानकर उसका अर्थ समजने की प्रक्रिया ।

- रोबिन्सन्


👉 वाचन चिंतनशील, विचारशील प्रक्रिया है।

- बेट्स


👉 वाचन सिर्फ मुद्रित शब्दों का स्पष्ट दर्शन या सही उच्चारण या प्रत्येक शब्द के अर्थ की प्रत्यभिज्ञा से भी विशेष है। - सुथ स्ट्रेग


उपरोक्त व्याख्या - चर्चा के आधार पर वाचन-पठन कौशल के निम्नांकित लक्षण देख सकते है।


1. वाचन भाषा का अर्थग्रहणात्मक कौशल है।

2. वाचन कौशल में शरीरविज्ञान और मनोवैज्ञानिक जैसे दो पहलू संमिलित है।

3. लिखित शब्दों को आँख-द्रश्येन्द्रिय के द्वारा देखने की प्रक्रिया शरीरविज्ञान है।

4. लिखित शब्दों को समजने की

अर्थग्रहण; अर्थघटन की प्रक्रिया मनोवैज्ञानिक है।

5.बालक की क्षमता के साथ वाचन का सम्बन्ध है। 

6.भाषा के दृश्य स्वरूप के साथ वाचन का सम्बन्ध है।

7. वाचन का अर्थग्रहण - अर्थघटन करके पुनः सर्जन करके लिख सकते है, इस तरह से देखे तो वाचन सर्जनात्मक कौशल बनता है। 

8. वाचन की प्रक्रिया क्रमिक है।

9. वाचन प्रक्रिया में लिपि संकेतों की पहचान, अर्थग्रहण, अर्थघटन, तर्क, विचार और चिंतन जैसी प्रक्रिया समाविष्ट है।


पठन कौशल की आवश्यकता-महत्त्व 

भाषा के चार कौशल में वाचन अपना विशिष्ट स्थान रखता है। वाचन कौशल के बिना भाषाज्ञान अधूरा है। वाचन का हमारे जीवन में बड़ा महत्त्व है। जीवन में स्थान-स्थान पर ऐसे अवसर उपस्थित होते हैं, जहाँ वाचन की आवश्यकता होती है।


फ्रांसिस शिक्षाशास्त्री बेकन के अनुसार "वाचन मनुष्य को सम्पूर्ण बनाता है।" वाचन का महत्त्व केवल विद्यालय की परिधि तक सीमित न रहकर वह अन्तकाल तक मनुष्य का साथी रहता है। 

 

वाचन एक कला है । वाचन ज्ञानोपार्जन का महत्त्व का विज्ञान और टेक्नोलजि के समय में वाचन अति आवश्यक है। पठन कौशल का बड़ा महत्व है।

आवश्यकता-महत्त्व निम्नानुसार है।



(1) हमारे जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में वाचन अत्यंत आवश्यक है। वाचन समग्र अध्ययन की बुनियाद है। वाचन के ध्वारा विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त कर सकता है।

(2) विश्व साहित्य के विशाल साम्राज्य में विद्यार्थियों या पाठकों को प्रवेश करने के सुअवसर और मनोवैज्ञानिक आनंद प्रमोद वाचन ही प्रदान करता है । वाचनक्षमता के अभाव में व्यक्ति समस्त ज्ञान संपति से वंचित रह जाता है।

(3) वाचन साहित्य आत्म प्रकाशन का प्रभावोत्पादक साधन है।

(4) वाचन की कला में कुशल व्यक्ति समर्थ और महान वक्ता बन सकता है। सक्षम वक्तृत्व उसे सफल नेतृत्व की शक्ति भी प्रदान करता है। महान वक्ता, नेतृत्व शक्ति के लिए वाचन कौशल आवश्यक है।

(5) सुवाचन व्यक्ति को समाज में आदर-मान दिलाता है।

(6) विद्यार्थियों में शब्दभंडार बढ़ाने में तथा उत्तम लिखित अभिव्यक्ति के लिए वाचन कौशल आवश्यक है।

(7) वाचन के ध्वारा ही समाज और राष्ट्र के अशिक्षित लोगों को लाभान्वित किया जा सकता है। वाचन ही तो साक्षरता की नींव है।

(8) भाषा पर प्रभुत्व पाने के लिए वाचन ही अकसीर उपाय है।

(9) वाचन अवकाश के समय मनुष्य का मित्र बन जाता है। फूरसत का समय गंवाने के बदले ज्ञान और आनंदप्राप्ति वाचन से होती है। वाचन से समय का सदुपयोग होता है।

(10) "पढ़त पढ़त हि जड़मति होत सुजान" - पढ़ने से जड़बुद्धि मनुष्य भी चैतन्य प्राप्त करता है।

(11) पठन कौशल से ज्ञान में वृद्धि होती है। मौखिक तथा लिखित. अभिव्यक्ति के विकास के लिए पठन कौशल आवश्यक है। 

(12) वाचन के कारण किसी भी चीज को विशाल दृष्टि से देखने की आदत पडती है। (13) विद्यार्थियों की विचारशक्ति और चिंतनशक्ति बढ़ाने में वाचन कौशल आवश्यक है।

(14) पठन से रस और आनंद की अनुभूति होती है। अच्छा वाचन सुरुचि बढ़ाता है। (15) वाचन से विश्व में होनेवाली घटनाओं से, नये संशोधनों से अवगत हो सकते है। विश्व में आने वाले परिवर्तन से परिचित होने के लिए और परिवर्तनशील विश्व के साथ ताल मिलाने के लिए वाचन अत्यंत आवश्यक है

(16) सामाजिक, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन के लिए वाचन आवश्यक है।

(17) सभा, संमेलन, संशोधन परिषद, व्याख्यानो में सस्वर वाचन उपयोगी है।

(18) छात्र की वाचनटेव, छात्र के वाचन सम्बन्धित निदान और उपचार के लिए सस्वर वाचन उपयोगी है।

(19) मौनवाचन से वाचन झड़प और अर्थग्रहणक्षमता बढ़ती है। स्व-अध्ययन में मूकवाचन कौशल आवश्यक है।

(20) व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए, वर्तमानपत्र, सामयिक, मनोरंजक किताब पढ़ने और समजने के लिए मूकवाचन कौशल आवश्यक है।


 पठन कौशल शिक्षण के साथ-साथ हमारे जीवन में भी अत्यंत आवश्यक है।


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